वाणिज्य (Commerce)
स्टिफेन्सन (Stephenson) के शब्दों में, "वाणिज्य उन समस्त प्रक्रियाओं के योग को कहते हैं जो किसी वस्तुओं के विनिमय में आने वाली कठीनाईयों, स्थान व समय सम्बन्धि बाधाओं को दूर करने से सम्बन्धित हैं, जैसे व्यापार, बीमा, बैंकिंग, परिवहन, भण्डारण, आदि।" अन्य शब्दों में, माल को उसके उत्पादन स्थल से उपभोग के स्थान तक पहुंचाने में जो बाधाऐं आती हैं उनको दूर करने से सम्बन्धित प्रिक्रियाओं को ही 'वाणिजय (Commerce)' कहा जाता है। मेल को उत्पादक के कारखाने से हटाकर उपभोक्ता या प्रयोक्ता के द्वार तक ले की प्रगति में पहले तो किसी सुरक्षित भण्डार में उसे संग्रह करना पड़ता है, विज्ञापन के विविध साधनों द्वारा लोगों को उसकी जानकारी कराई जाती है, तत्पश्चात् ग्राहक पाने पर माल को ठेला, मोटर, रेल, आदि के द्वारा भेजा जाता है। वाणिज्यिक क्रियाओं के सुसंचाल हेतु और भी अनेक संस्थाओं की सहायता लेनी पड़ती है,
जैसे- बैंक से पूंजी उधार लेना, पत्र-व्यवहार के लिए डाकखानों की सेवाओं का उपयोग करना, शीघ्र संवादवाहन के लिए तार विभाग की सेवाएं लेना, माल की जोखिम झेलने के लिए बीमा कम्पनी से बीमा कराना, विक्रय की सुविधा हेतु मध्यस्थों या एजेण्टों का सहयोग प्राप्त करना, माल लाने-ले-जाने के लिए परिवहन के साधनों का उपयोग करना, ई-कामर्स का प्रयोग करना, इत्यादि। वस्तुओं के उत्पादकों और उपभोक्ताओं को परस्पर सम्पर्क में लाने वाले इन समस्त साधनों को 'वाणिज्य' की परिभाषा में सम्मिलित किया जाता है।
वाणिज्य के अंग- वाणिज्य के दो प्रमुख अंग हैं-
(1) व्यापार (Trade)- हमारे पिछले पोस्ट https://businessukti.blogspot.com/2020/04/trade.html?m=1 पर जाएं।
(2) व्यापार के सहायक (Aids to Trade)- इसी आधार पर प्रायः कहा जाता है कि-
C = T + A
उपर्युक्त सूत्र में 'C' का अर्थ वाणिज्य (Commerce), 'T' का व्यापार (Trade) और 'A' का व्यापार के सहायक (Aids to Trade) है।
nice
ReplyDeletehttps://ideashubs.blogspot.com/2021/05/What-is-meaning-of-vaanijy.html
Nice
ReplyDeletehttps://www.studyuseful.com/2022/02/trainer-in-network-marketing.html