PARTNERSHIP I - Meaning & Definition
साझेदारी का अर्थ
(MEANING OF PARTNERSHIP)
सामान्य बोलचाल की भाषा में, विशिष्ट गुणों वाले व्यक्तिओं के समूह के संगठन को 'साझेदारी' कहते हैं। वयवसायिक संगठन के इस प्रारूप के अन्तर्गत दो अथवा दो से अधिक व्यक्ति मिलकर व्यवसाय करते हैं। वे अपनी योग्यतानुसार व्यवसाय का प्रबन्ध संचालन करते हैं तथा पूंजी की व्यवस्था करते हैं। इस प्रकार अलग-अलग गुणों वाले व्यक्ति- जैसे कुछ धनि-मानी व्यक्ति होते हैं, कुछ प्रबन्ध कला में निपुण होते हैं, कुछ अधिक व्यवहारकुशल होते हैं तथा कुछ अन्य कलाओं में दक्ष होते हैं- अपनी-अपनी विशेषताओं के साथ अनुसार साझेदारी संगठन का निर्माण करते हैं। संछेप में, विकेन्द्रित साधनों के एकीकरण को ही 'साझेदारी' कहते हैं।
साझेदारी की परिभाषाएं
(DEFINITIONS OF PARTNERSHIP)
साझेदारी का अर्थ भली प्रकार से समझने के लिए इसकी परिभाषाओं को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है :
(1) स्वतंत्र परिभाषाएँ (Independent Definitions)
1. किम्बाल एवं किम्बाल के अनुसार,"एक साझेदार अथवा फर्म जैसा कि प्रायः उसे कहा जाता है, व्यक्तिओं का वह समूह है जिन्होंने किसी व्यावसायिक उपक्रम को चलने के उद्देश्य से पूंजी अथवा सेवाओं का एकीकरण किया है।"
2. डॉ. जॉन. ए. शुबिन (Dr. Jhon A. Shubin) के अनुसार,"दो अथवा दो अधिक व्यक्ति इस आशय का लिखित या मौखिक करके कि अमुक व्यवसाय को चलाने का पूर्ण उत्तरदायित्व वे संयुक्त रूप से अपने ऊपर लेंगे, साझेदारी का निर्माण कर सकते हैं।"
(2) वैधानिक परिभाषाएं (Legal Definitions)
1. भारतीय अधिनियम, 1932 की धारा 4 के अनुसार (Sec. 4 of Indian Partnership Act. 1932)- "साझेदारी उन व्यक्तियों के पारस्परिक सम्बन्ध को कहते हैं जिन्होंने एक ऐसे व्यवसाय के लाभ को आपस में बाँटने का ठहराव किया हो जिसे वे सब अथवा उन सब की ओर से कार्य करते हुए उनमें से कोई एक व्यक्ति चलाता हो। " वे सभी व्यक्ति जिन्होंने एक-दूसरे के साथ साझेदारी का समझौता किया हो, व्यक्तिगत रूप से 'साझेदार' (Partner) और सामूहिक रूप से 'फर्म' (Firm) हैं अउ और जिस नाम से व्यवसाय करते हैं वह 'फर्म का नाम' (Name of the Firm) कहलाता है।
2. आंग्ल साझेदारी अधिनियम, 1890 के अनुसार,"साझेदारी लाभ की दृष्टि से मिल-जुलकर व्यापार चलाने के लिए व्यक्तियों के मध्य पाया जाने वाला सम्बन्ध है।"
निष्कर्ष- साझेदारी कि उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर निष्कर्षस्वरुप यह कहा जा सकता है कि "साझेदारी दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों का एक ऐच्छिक संघ है जिसके सदस्य किसी विशिष्ट व्यवसाय को करने एवं उसके लाभ-हानि को आपस में बाँटने का अनुबंध करते हैं। व्यवसाय का प्रबन्ध संचालन सभी सदसयों द्वारा अथवा उनकी ओर से किसी एक व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।
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