Sunday 12 April 2020

व्यवसाय के उद्देश्य (Objectives of Business)

व्यवसाय के उद्देश्य

(Objectives of Business)


        व्यवसाय के उद्देश्यों को चार भागों में विभक्त किया जा सकता है- (i) आर्थिक या लाभार्जन करने का उद्देश्य; (ii) सामाजिक या सेवा उद्देश्य; (iii) मेनविय उद्देश्य, और (iv) राष्ट्रीय उद्देश्य।

 (i)आर्थिक या लाभार्जन उद्देश्य (Economics or Profit Motive Objectives)- व्यवसाय के आर्थिक उद्देश्य से तात्पर्य है लाभ कमाना। व्यवसाय में लाभ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, रेल्फ हाॅरविज (Ralph Horwitz) ने लिखा है कि "लाभ व्यवसायिक क्रिया का नवजीवन स्रोत है। लाभ के बिना व्यवसायिक क्रियाओं का संचालन नहीं किया जा सकता। लाभ का व्यवसाय में वही महत्व है जो सत्ता क राजनीति में होता है।"

 अधिकतम लाभ कमाने के पक्ष में तर्क- 

    फ्राइडमेन (Friedmen), जायल डीन (Joel Dean), पीगू (Pigou), कोल (Cole), कीथ एंव गुबेलिनी (kieth and Gubellini) आदि ने अधिकतम लाभ कमाने के पक्ष में तर्क दिए हैं। इनके मतानुसार प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में लाभों की अधिकाधिक करना ही प्रबन्ध का प्रमुख सामाजिक दायित्व है।इस विचारधारा के पक्ष में निम्न तर्क दिये जा सकते हैं- (1) व्यवसाय स्थापित पर अधिक लाभ  न कमाना मार्ग से भटकना है। (2) लाभ आर्थिक कल्याण का आधार है। (3) यह निर्णयन का भी आधार है। (4) न्यूनतम या सन्तोष्प्रद लाभ व्यवसाय की सफलता का कोई माप नहीं है। (5) लाभ भावना से संसाधनों का मितव्ययिता से प्रयोग किया जाता है, इत्यादि।
   अधिकाधिक लाभ कमाने के विपक्ष में तर्क-
कार्ल मार्क्स (Karl Marx) के मतानुसार अधिकतम लाभ कमाना कानूनी डाका है। यह मानव जीवन की भव्यता के प्रति एक प्रकार की हिंसा है। इससे मानवता का पतन होता है। कुछ विद्वान अधिकतम लाभ कमाने के विरुद्ध हैं। जिनके तर्क निमनलिखित हैं- (1) आधिकाधिक लाभों से समाज में शोषण बढ़ता है तथा वर्ग-संघर्ष बढ़ता है। (2) इससे ग्राहकों व कर्मचारियों के हितों की उपेक्षा होती है। (3) समाज में नैतिक पतन को बढ़ावा मिलता है। (4) व्यक्तिगत स्वार्थ एंव भौतिकवेद को प्रेरणा मिलती है। (5) मानविय मूल्यों का ह्रास होता है, इत्यादि।

   उचित लाभ की अवधारणा

पक्ष एंव विपक्ष में प्रस्तुत तर्कों के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि व्यवसायी को मात्र उचित लाभ ही लेना चाहिए। लाभ आर्थिक क्रिया के लिए मुख्य प्रेरणा प्रदान करने वाला तत्व है। व्यवसाय के अस्तित्व को जीवित रखने के लिए लाभ अर्जित करना आवश्यक भी है, किन्तु इसकी मात्रा उचित होनी चाहिए अनुचित नहीं। उचित लाभ कमाने के पक्ष में निम्न तर्क दिए जा सकते हैं- (1) लाभ व्यवसाय की प्रेरणा शक्ति है, अतः व्यवसाय को जीवित रखने के लिए उचित लाभ होना ही चाहिए। (2) यह व्यवसायी की सेवाओं व साहस का प्रतिफल है। (3) व्यवसाय के स्वामी द्वारा अंशधारियों को लाभांश लाभों से ही किया जा सकता है। (4) यह व्यवसायी के अभिप्रेरणा के लिए जरूरी है। (5) नव प्रवर्तन व व्यवसाय का विकास लाभों द्वारा ही सम्भव सो सकता है, इत्यादि।

   (ii) सामाजिक उद्देश्य (Socia Objectives)- आर्थिक उद्देश्य के साथ -साथ व्यवसाय का उद्देश्य ग्राहक व समाज की सेवा करना भी होने चाहिए। वर्तमान प्रतयोगी युग में ग्राहक ही बाजार का राजा है। वर्तमान अर्थव्यवस्था ग्राहक प्रधान है तथा ग्राहक सदैव सही है के आधार पर ही व्यवसाय का सफल संचालन किया जा सकता है।

   हेनरी एल. गैण्ट (Henry L. Gant) के शब्दों में,"व्यवसाय में सेवा आवश्यक है, न कि लाभ, जो श्रेष्ठतम सेवा प्रदान करेगा वही अधिकतम लाभ कमायेगा।" अतः एक व्यवसायी को ग्राहकों की सेवा एंव संतुष्टी के लिए निम्नलिखित कार्य करने चाहिए-
(1) अधिकतम श्रेष्ठतम व सस्ती वस्तुओं के निर्माण करना चाहिए, (2) वस्तुओं एंव सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट नहीं लाना चाहिए, (3) विक्रय उपरान्त सेवा पर अधिक ध्यान होना चाहिए, (4) वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा कर के उपभोक्ताओं को संकट में नहीं डालना चाहिए, (5) वस्तुओं की नियमित पुर्ति बनाये रखना चाहिए, आदि। 

  (iii) मानविय उद्देश्य (Human Objectives)- व्यवसायिक क्रियाओं का तिसरा उचित उद्देश्य 'मानविय' कहा जा सकता है। व्यवसाय में भूमि , कच्चा माल व मशीन जैसे जड़ पदार्थ ही नहीं होते , वरन् उनमें प्रबन्धक, संगठनकर्ताओं व श्रभिकों की एक विशाल सेना भी होती है। इन इन लोगों के साथ व्यवसाय के स्वामी या स्वामियों को मानवता का व्यवहार करना चिहिए। यदि मानविय दृष्टिकोण में समस्या का समाधान किया जाय, तो वास्तव में कोई उलझन रहेगी ही नहीं। 

    मानविय उद्देश्यों की पूर्ति हेतु व्यवसायी को निम्न कार्य करने चाहिए- (1) पूंजी के विनियोजकों को उचित लाभांश देना चाहिए, (2) पूर्तिकर्ताओं को उचित मूल्य देना चाहिए, (3) कर्मचारियों को उचित वेतन व भत्ते देना चाहिए, (4) उनके लिए कार्य की श्रेष्ठ दशाएं प्रदान की जाएं, (5) श्रम कल्याण एंव सामाजिक सुरक्षा की समुचित व्यवस्था हो, आदि।

   (iv) राष्ट्रीय उद्देश्य (National Objectives)- 

इससे आशय राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों के पालन किए जाने से है। इसके लिए निम्न कार्य किये जा सकते हैं- (1) सरकार के नियमों को धर्म समझ कर दृढ़ता से पालन करना चाहिए, (2) करों का समय पर भुगतान करना चाहिए, (3) संयन्त्र की उत्पादन क्षमता का पूर्ण किया जाए, (4) आर्थिक नियोजन में सक्रिय सहयोग करना, (5) देश की सीमित साधनों का अनुकूलतम उपयोग करना, आदि।
      

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