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व्यापार के अर्थ एंव प्रकार
(Meaning and kinds of Trade)
● व्यापार (Trade)
अर्थ (Meaning) - सामान्यतः व्यापार से आशय वस्तुओं के क्रय-विक्रय से होता है। उदाहरण के लिए, 500 रुपये प्रति क्विण्टल की दर से चावल खरीद कर 650 रुपया प्रति क्विण्टल की दर से बेच दिया तो इस व्यवहार को 'व्यापार (Trade)' कहेंगे।
व्यापार के प्रकार (Kinds of Trade) - व्यापार मुख्यतः दो प्रकार का होता है- (1) देशी व्यापार तथा
(2) विदेशी व्यापार।
(1) देशी व्यापार (Home Trade)- देशी या आन्तरिक व्यापार से आशय उस व्यापार से है जो एक ही देश के विभिन्न स्थानों अथवा क्षेत्रों के बिच किया जाता है। जैसे आगरा व मुम्बई के बीच व्यापार, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के बीच व्यापार, आदि। इस प्रकार के व्यापार का क्षेत्र देश की आन्तरिक सीमाओं तक ही सीमित रहता है। देशी व्यापार पुनः तीन वर्गों में बांटा जा सकता है-
(अ) स्थानिय व्यापार (Local Trade)- इसका तात्पर्य ऐसे व्यापार से है जो किसी स्थान विशेष तक ही सीमित होता है जैसे- साग-सब्जि, दूध-दही, ताजे फल, मिठाईयाँ, भूसा, घास, आदि का व्यापार।
(ब) राज्यीय व्यापार (State or Provincial Trade)-
इससे तात्पर्य ऐसे से है जो किसी राज्य विशेष तक ही सीमित होता है। उदाहरण के लिए, आगरा, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद,
आदि नगरों के मध्य होने वाला व्यापार उत्तर प्रदेश राज्य की सीमाओं के अन्दर होने के कारण राजयीय व्यापार कहलायेगा।
(स) अन्तर्राज्यीय व्यापार (Iter-stateTrade)- इससे तात्पर्य ऐसे व्यापार से है जो एक ही देश की सीमाओं के अन्तर्गत विभिन्न राज्यों के बीच होता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के बीच होने वाला व्यापार अन्तर्राज्यीय व्यापार कहा जायेगा।
देशी या आन्तरिक व्यापार को (अ) थोक व्यपार (Whole Sale Trade) तथा (ब) फुटकर व्यापार (Retail Trade) के रूप मे भी वर्गीकृत किया जा सकता है। थोक व्यापार में बड़ी मात्रा में वस्तुओं का क्रय-विक्रय किया जाता है और फुटकर व्यापार में जो प्रायः कई वस्तुओं से सम्बन्धित होता है, व्यापारी माल को छोटी-छोटी मात्रा मे बेचता है।फुटकर व्यापारियों को पुनः अनेक उपवर्गों में बांटा जा सकता है- जैसे, फेरी वाले व्यापारी, विभागीय भण्डार, डाक द्वारा व्यापार, बहुसंख्यक दुकानें, सुपर बाजार, इत्यादि।
(2) विदेशी व्यापार (Foreign Trade)- विदेशी व्यापार से हमारा आशय उस व्यापार से है जो विभिन्न देशों अथवा सरकारों के बीच होता ह, जैसे भारत-पाक व्यापार, बारत-रूस व्यापार, भारत-अमेरिका व्यापार।
विदेशो व्यापार को भी तीन वर्गों मे विभाजित किया जा सकता है- (अ) आयात व्यापार, (ब) निर्यात व्यापार, और (स) पुनर्नियात व्यापार।
(अ) आयात व्यापार (Import Trade)- अन्य देशों से माल क्रय करना आयात कहलाता है। जब भारत में कोई माल दूसरे देशों से क्रय कर के मंगाया जाता है तो इसे भारत के लिए 'आयात व्यापार' कहा जाता है।
(ब) निर्यात व्यापार (Export Trade)- अन्य देशों को माल भेजना निर्यात व्यापार कहलाता है। जब भारत से कोई माल दूसरे देशों को बेचा जाता है तो भारत के लिए यह 'निर्यात व्यापार' कहा जाता है।
सूक्ष्म में इस प्रकार कहा जा सकता है कि जो भी देश दूसरे देश से क्रय करता है, उसके लिए यह व्यापार आयात व्यापार है; जो देश दूसरे देश को माल बेचता है, तो बेचने वाले देश के लिए यह निर्यात व्यापार है।
(स) पुनर्निर्यात व्यापार (Entreport Trade)- जब भारत दूसरे देश से माल मंगाता है तथा इसे बिना अपने देश मे प्रयोग किए हुए दूसरे देश को भेज देता है तो इस प्रकार का व्यापार 'पुनर्निर्यात व्यापार' कहलाता है।
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