Tuesday, 21 April 2020

TYPES OF PARTNERSHIPS | KINDS OF PARTNERSHIPS IN HINDI

TYPES OF PARTNERSHIPS | KINDS OF PARTNERSHIPS IN HINDI

साझेदारी के प्रकार व भेद 

(KINDS OR TYPES OF PARTNERSHIPS)



1. ऐच्छिक साझेदारी (Partnership at Will)- भारतीय साझेदारी अधिनियम किओ धारा 7 के अनुसार यदि साझेदार के अनुबंध से साझेदारी की अवधी अथवा उसके विघटन या समापन के सम्बन्ध में कोई बात नहीं दी गयी है, तो ऐसी साझेदारी को 'ऐच्छिक साझेदारी' कहेंगे।  इस प्रकार की साझेदारि को किसी भी समय समस्त साझेदारों की सहमति से अथवा किसी एक साझेदार द्वारा भंग करने की सुचना देकर समाप्त किया जा सकता है। 


2. विशिष्ट साझेदार (Particular Partnership)- भारतीय साझेदारी अधिनियम धरा 8 के अनुसार, जब किसी विशिष्ट व्यवसाय  अथवा विशेष कार्य के लिए साझेदारी का निर्माण किया जाता है, तो उसे 'विशिष्ट साझेदारी' कहत हैं।  इस प्रकार की साझेदारी किसी निश्चित व्यवसाय के लिए प्रारम्भ की जाती है और उस उद्देश्य के के पूर्ण होने पर साझेदारी भी स्वतः समाप्त हो जाती है। 


3. नियत अवधि की साझेदारी (Fixed Term Partnership)- यदि किसी साझेदारी का निर्माण एक नियत अवधि के के लिए ही किया जाता है तो उसे 'नियत अवधि की साझेदारी' या 'निश्चितकालीन साझेदारी' कहेंगे। ऐसी दशा में जैसे ही नियत अवधी समाप्त होती है , साझेदारी का भी अंत हो जाता है। 


4. अनिश्चितकालीन साझेदारी (Non-Fixed Term Partnership)- यदि साझेदारी के अनुबंध में अवधि या समय के सम्बन्ध में कोई प्रतिबन्ध नहीं है और न ही उसका निर्माण किसी कार्य या उद्देश्य विशेष के लिए हुआ है, तो उसे 'अनिश्चितकालीन साझेदारी' कहेंगे।  ऐसी परिस्थिति में साझेदारी का समापन केवल विधान के अंतर्गत किया जा सकता है (जैसे- किसी आकस्मिक घटना के घटने पर- उदाहरणार्थ, किसी साझेदार की मृत्यु, आदि ) अन्यथा वह निरंतर चालू रहती है।  


5. सामान्य साझेदारी (Ordinary Partnership)- जिन फर्मों का नियमन व नियंत्रण भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 द्वारा किया जाता है, उन्हें साधारण साझेदारी कहते हैं।  प्रायः साझेदारियां 'सामान्य' या 'सधारण' ही होती हैं।  इनमें साझेदारों का दायित्व असीमित होता है, अर्थात फर्म के समापन पर यदि फर्म ऋणों को चुकाने के लिए साझेदारी की सम्पत्ति अपर्याप्त रहे तो साझेदारों की व्यक्तिगत सम्पत्ति भी ली जा सकती है। 


6.सीमित  साझेदारी (Limited Partnership)- जिस साझेदारी संस्था में कुछ साझेदारों का उत्तरदायित्व उनके द्वारा दी गयी पूँजी की सीमा तक सीमित होता है, उनको 'सीमित साझेदारी' कहते हैं। अब भारत में भी सीमित  दायित्व क़ानूनी रूप से मान्य है।  

1 comment: